
- बिपिन कुमार
- 26 Aug 2020
- 1M
- 6
ग़रीब कल भी ग़ुलाम था ग़रीब आज भी ग़ुलाम है
आज़ाद मुल्क का किस्सा ये आम है।
ग़रीब कल भी ग़ुलाम था ग़रीब आज भी ग़ुलाम है।
दो पैरों से चलते देखा, दो पहियों की गाड़ी
खून पसीने से चलते देखा, बिना ब्रेक की गाड़ी।
एक अधमरा इंसान, इंसानियत का बोझ उठा रहा है
एक इन्सान ही पीछे बैठकर, मौज उड़ा रहा है।
सरपट भागता है, एक हाथ रिक्शेवाला
इंसान को लेकर, एक इंसान ही पीछे बैठा है
चंद सिक्कों का माल देकर।
उम्र ढल चुकी है पूरा बदन कापंता है, मीलों की दूरी को पैरों से नापता है
कोड़े का डर नहीं जो घोड़े सा भागता है, पेट की आग है ,
हर बाधा को लांघता है।
इस हाथ गाडी को चलाने का तेल बना दे मौला
या पूँजीवाद को ख़त्म कर, ऐसी रेल बना दे मौला
आज़ाद मुल्क का किस्सा ये आम है।
ग़रीब कल भी ग़ुलाम था ग़रीब आज भी ग़ुलाम है।
लेखक के बारे में
मानवाधिकार विषय का छात्र
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6 Comments
admin
Your Comment is Under Review...!!!
M.G.Sarwra
Shandar jiwant story.. Angrej bhartiya logon ko gadha ghoda banana chahte the or baye the.. Angrej to chale gye lekin ye partha hai jinhe wo chhor gye
Rohit
Sunder hai bhai
Asif
Bahut khub
ANANT
Achhi koshish h
ANANT Ram
Lajabab h jaha ek taraf media bhatak gai h wahi kavi aur shayar apna kam kar rahe h.