
- मोहम्मद असलम
- 06 May 2021
- 93M
- 3
स्वप्न "दोष"
रात गाँधी जी सपनों में आए!
मैं गाँधी जी को हतप्रभ देखता रहा. आजतक किताबोँ, फिल्मों, मूर्तियों के रूप में औऱ भारतीय नोटों में ही देखा था लेकिन सामने गांधीजी को खड़ा देख मैं बिल्कुल नर्वस था. एक पल आप ये भी बोल सकतें हैँ कि मैं बौरा सा गया. कभी इधर देखता कभी उधर. बापू काफी परेशान औऱ थके हुए प्रतीत हो रहे थे... ऐसा लग रहा था मानों धोती महीनों से धुली नहीं है औऱ आँखों का चश्मा का ऊपरी परत घिस सा गया है....जिससे चीजें धुंधली सी दिखने लगी हो. मैं बापू को स सम्मान कुछ ऑफर करता तबतक बापू ने ऑक्सीजन का एक सिलिंडर मांग लिया.. मैं असहाय गाँधी जी को ट्वीटर औऱ व्हाट्सअप पर आए लीडस् बताने लगा....
इतने में मुझे एक विचार आया "आप तो राष्ट्रपिता हो इस देश के फिर तो आपको बिना कुछ सोचे समझें सरकार से माँगना चाहिए " गांधीजी ललाट का पसीना हटाते हुए जवाब दिए वहां से कुछ नहीं मिल रहा कोशिश कर ली...लेकिन बापू ऐसा क्यों?
वो कह रहें हैँ वादा करना होगा कि चुनावों में उनके लिए प्रचार करूँगा तभी ऑक्सीजन सिलिंडर मिलेगा... फिर मैंने पूछा आपको दिक्कत क्या है अभी ऑक्सीजन ज़रूरी है बापू....?आप हाँ बोल दो...
बापू अपनी ज़िद्द पर बने रहे और बोले नहीं ऐसा करना देश हित में नहीं होगा...... मैं बोला बापू अभी जान ज़रूरी है या आपके आदर्श.....? बड़े रूखे से जवाब दे गए, वो तो पहले ही मर चुकें हैँ, जो कुछ बचें हैँ उसको ज़िंदा रखना ज़रूरी है!
बापू एक काम करतें हैँ विपक्ष से सहायता मांगते हैँ..... नहीं वहाँ से भी कुछ नहीं मिल रहा है पर ऐसा क्यों बापू? बापू थोड़ा गुस्से में बोले उनके लिए तो मैं बस खोटा सिक्का हूँ सिर्फ दो अक्टूबर को चलता हूँ इसलिए नहीं! बापू मुझपर झल्लाते बोले कुछ और सोचो तुम कैसे नागरिक हो?
मैं भी बापू को दो टूक जवाब दे दिया मेरी नागरिकता पर कुछ मत बोलो बापू वो पहले से देशद्रोही और देश प्रेमी के बीच झूल रहा है..... बापू कहाँ चुप बैठने वाले थे? चलो फिर अपनी नागरिकता साबित करो मुझे ऑक्सीजन सिलिंडर चाहिए.....? नहीं तो वो मर जायेगा... कौन बापू? वो सारे लोग जो इस लोकतंत्र में अपना विश्वास जमाये वर्षों से सिर्फ आगे बढ़ते जा रहें हैँ और कभी सवाल तक नहीं पुछा....वो....चलो रेमडेसिवीर दिलवाओ... चलो ऑक्सीजन दिलवाओ...
बापू भावुक बस यही सवाल दागे जा रहे थे... मैंने भी ठान ली आज बापू को ऑक्सीजन सिलिंडर दिलवाकर मानूंगा. बापू कि नकारात्मकता दूर करके मानूंगा.... बापू को स्कूटर पर पीछे बैठाया और एक ऑक्सीजन सिलिंडर वाले के पास गया.... वहां भी बापू मुझपर ही सवाल उठाते रहे क्योंकि हजार का सिलिंडर लाख में बिक रहा था. बापू गुस्से में मेरे पास इतने पैसे नहीं हैँ तुम कालाबाजारी हो.... मैं उहापोह में था बापू मैं कालाबाजारी कैसे हुआ मैं तो आपकी सहायता कर रहा हूँ...? तुम सहायता नहीं कालाबाजारी बढ़ा रहे हो.....?
मुझे समझ आ गया था बापू से निपटना मुश्किल है.... मैं सीधे नॉएडा फ़िल्म सिटी की ओर भागा शायद मीडिया वाले ही बापू कि सहायता कर दें...?
बापू थोड़ा चिढ़े स्वर में कहाँ ले जा रहे हो.....? बापू वो लोकतंत्र के चौथे पिल्लर के पास उनकी ताक़त का आपको अंदाजा नहीं वो हांथी को भी उड़ाते हैँ और गधे को वैज्ञानिक साबित कर देतें हैँ. वो आपकी ज़रूर से सहायता करेंगे.... चलो बापू सोचो मत सिलिंडर चाहिए या नहीं....? बापू भी वक़्त कि नज़ाकत को देखते पीछे शांत पर चिंतित मुद्रा में बैठे रहे.
खुद को नंबर वन कहने वाले के पास गया.... मेरी तो एन्ट्री ही नहीं हो पायी बापू को सौभाग्य प्राप्त हुआ? थोड़े देर में बापू बड़बड़ाते बाहर आए बोले तुम तो बहुत ही बेकार नागरिक हो तुम्हें गलत सही में फर्क ही नहीं करना आता.....? मैं भी चिढ़ा सा था दिल्ली से नॉएडा ऊपर से कड़कड़ाती धूप और संक्रमण का खतरा अलग.... चिल्ला पड़ा अब क्या हुआ बापू?
बापू बोले ये तो चौथा पिल्लर नहीं दूकान है.... कह रहें हैँ ऑक्सीजन सिलिंडर ये मुहैय्या नहीं करवा सकते क्योंकि इससे सरकार की किरकिरी होगी.... और इनको अपने कमाई के साधन यानी प्रचार से हाथ भी धोना पड़ सकता है....? मैं बोला आप थोड़ा गुज़ारिश कर लेते बापू....बोले वो अभी बंगाल चुनाव के परिणामों पर विचार विमर्श कर रहें हैँ और वैसे में उनको किसी की दखल अंदाजी बिल्कुल भी पसंद नहीं....मेरा दम घूँटने लगा था इसलिए बाहर निकल आया.
दिल्ली वापिस लौटते वक़्त आधे रास्ते एक मीडिया हाउस और दिखा अब वहां धमक पड़े.... पता चला उनकी कोई सुन ही नहीं रहा वैसे में वो मज़बूर हैँ सहायता नहीं कर सकते.....बापू बताने लगे तुमलोग झूठ-झूठ गाँधी-गाँधी करना बंद करो और मुझे यहीं उतारो....
पर करोगे क्या बापू?
धरना दूंगा,
बापू मुझे तो कुछ वेब सीरीज खत्म करने हैँ मैं जा रहा हूँ...
पीछे देखा बापू गायब... पता नहीं कहाँ चले गए. घर पहुंचा न्यूज़ चैनल खोला तो पता चला बापू को संक्रमण फैलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया है. क्योंकि उनका धरना पर बैठना वक़्त के लिहाज़ से बिल्कुल ग़लत है ऐसी ख़बर दिखाई जा रही थी .... किसी ने घर का बेल बजाया तो आँख खुली. दरवाजे के जाली से देखा तो सफाईवाला मास्क लगाए कूड़ा लेने के लिए खड़ा था.
लेखक के बारे में
मोहम्मद असलम, पत्रकारिता से स्नातक हैं। सामाजिक घटनाक्रम और राजनीतिक विषयों में रूचि रखतें हैं। इनके ज्यादातर लेख सोशल मीडिया घटनाक्रम पर आधारित होतें हैं। इसके साथ ही एमबीए डिग्री धारक हैं और एक निजी बैंक में सीनियर मैनेजर के पोस्ट पर कार्यरत हैं।
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admin
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Rahul
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