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देसी अखाड़े से शायद हम सभी परिचित होंगे, देसी अखाड़े ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी भी दिए हैं।वो अलग़ बात है कि आज ट्विटर उससे भी बड़ा अखाड़ा बन गया है।  लेकिन सच पूछें तो "ट्विटर अखाड़े" की दुनिया में या तो नेता हिट हैं या तो अभिनेता। 

बाक़ी बेचारे यही प्रचार प्रसार करतें रहतें है कि आप मुझे फॉलो करो, मैं आपको फॉलो बैक दूंगा। कुछ ये भी अपडेट देतें रहतें हैं कि फॉलोवर की संख्या इतने से इतनी हो गई।  कुछ तो इस बात पर भी शिकायत करते दिखे कि सुबह उठते ही मेरे फॉलोवर पिछले दिन से भी कम हो गए, पता नहीं कहाँ बिला गए या जान बूझकर कम कर दिया गया ?  बहुत बड़ी संख्या है जिनका मानना है कि ये सब किसी न किसी रणनीति के तहत किया जाता है। सरकार के नज़दकीयों को "ब्लू टिक" आसानी से मिल जाता है बाकियों को काफ़ी घीसना पड़ता है।  वैसे लोगों की संख्या भी कम नहीं हैं जो घिसवा घिसवा के थक गएँ हैं। आप जले पे नमक न समझें! इस अखाड़ें की खासियत ये है कि इसपर बने रहने के लिए आपका खलियर होना ज़रूरी है। 

ट्विटर की अहमियत नीचे दिए गए पोस्ट से लगाइये।  सदी के महानायक सर अमिताभ बच्चन को यूपीए सरकार द्वारा पेट्रोल के दाम बढ़ाया जाना पसंद नहीं आया और फिर उन्होंने ट्विटर अखाड़ा को प्रयोग में लाया। ये पक्की बात है कि बच्चन साहब की बात सरकार को तीर की तरह चुभे होंगे।

  

अब थोड़ा ट्विटर की तारीफ़ करते चलते हैं।  मुझे लगता है ट्विटर ने सरकार के समक्ष विपक्ष की भूमिका में काफ़ी हद तक बढ़िया रोल अदा किया है।  ट्विटर से यहाँ मतलब है उसके उपयोगकर्ता। वर्ष 2019 के आख़िर तक भारत में ट्विटर उपयोगकर्ताओं की तादाद 3 करोड़ 44 लाख थी।  मुझे पूरा विश्वास है ये सँख्या और भी बढ़ गई होगी।  रोज भारत में जितनी नौकरियां नहीं मिलती उससे ज़्यादा लोग तो ट्विटर की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाते हैं। अमेरिका में तो 6 करोड़ से भी ज़्यादा लोग ट्विटर से जुड़े हुए हैं।  वैसे भी अमेरिका ट्विटर के अलावा कई चीजों में दुनिया भर में पहले पायदान पर है।  

युवा ट्विटर पर अकाउंट बनाकर बेरोज़गारी से थोड़ा ध्यान भी भटकातें होंगे। फ़िर ट्विटर को कोसना असान भी नहीं है।राजनेताओं के लिए ये जग़ह बड़ा ख़ुशनुमा है दिल की बात मिनट भर में करोड़ों तह पहुँचा देतें हैं।  न झंडा चाहिए न माइक।  यही हाल अभिनेताओं का है रंगीन तस्वीर पलक झपकते करोड़ों तक पहुँच जाती है।     

सरकार के लिए भी ट्विटर किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि करोड़ों की सँख्या में से 2-4 फ़ीसद ने भी किसी बात का बतंगड़ बना दिया फिर तो ख़ैर नहीं।  पत्रकार फ़ील्ड पर जाने के बजाये ट्विटर खंगालना शुरू कर देता है।  फिर उसी में थोड़ा मसाला लगाकर हमें परोश देता है।  

लगता है कांग्रेस की सरकार ने सर अमिताभ बच्चन के पहले ट्वीट को आसानी से झेल लिया। फिर बच्चन साहब ने दुबारा गोला दागा।  आपके लिए वो भी लेकर आया हूँ।  ये अलग बात है आजकल हमारे शहंशाह पेट्रोल की क़ीमत पर बात करना वाज़िब नहीं समझतें हैं।  भाई इसमें कोई क्या करें "बड़े मियाँ-बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभानअल्लाह"

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