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मौक़ापरस्त या अवसरवादी की क्या परिभाषा बनती है ? मुझे लगता है इसकी परिभाषा शब्दकोष भर से समझना इस शब्द के साथ बैमानी होगी।लेकिन ऐसा भी नहीं है, नेताओं के साथ परिस्थिति ही ऐसी होती है कि वो भी क्या करें ? अगर आज विपक्ष में रहकर गंजे को कंघी बेचना "अनैतिक" बताते हैं तो कल सत्ता में आकर गंजे को कँघी बेचना "कला" बताते हैं।  

दोनों परिस्थितियों में बेचारा गंजा ही अपनी कारणों से केंद्र में रहता है लेकिन हर बार ठगा जाता है।  

आज के "ट्विटर कार्नर" में आपको हम मुलाक़ात करवाएँगे वर्तमान में भारत सरकार में मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स यानी की वस्त्र मंत्रालय की ज़िम्मेदारियों को संभालती स्मृति ईरानी से।   

उनके पुराने ट्वीट्स को पढ़िए और आज की तारीख़ में उसी विषय पर उनकी विचारों को नज़रिया को समझने की कोशिश कीजिए। समझिए, सबकुछ इतना आसान भी नहीं होता है....... 

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