
- मोहम्मद असलम
- 24 Sep 2020
- 2M
- 3
मैं भी दिल्लीः- सुबह-शाम रेंगती दिल्ली फ्री "बिजली-पानी" से ज्यादा ज़रूरी है "ट्रैफिक फ्री" दिल्ली पार्ट-2
मेरे पिछले ब्लॉग से दिल्ली थोड़ा नाराज़ दिखी। लोगों के हिसाब से कोई ब्लॉगर, कोई लेखक, पत्रकार आख़िर ईतना तल्ख़ कैसे हो सकता है किसी शहर के साथ ? वो भी बात अगर राजधानी शहर की हो तब तो बिल्कुल भी नहीं हुआ जा सकता?
आज़ अपनी तारीफ़ सुनो दिल्ली। तुम्हारी सुबह-शाम सड़कों पर रेंगने वाली मजबूरी को हमने एंटरटेनमेंट के रूप में "मौका" में तब्दील कर दिया है। जब लोग तुम्हारी मन पसंद शब्द "रश ऑवर" से गुजर रहें होतें हैं तब रेडियो जॉकी तुम्हारी ख़ातिर नए पुराने गाने बजा रहे होतें हैं। अब तो तुम्हे खुश होना चाहिए दिल्ली तुम्हारी सड़क पर ट्रैफिक वाली मजबूरी की वजह से लोग मनपसंद गाने सुन पातें हैं। अच्छा एक और बात बताऊँ बहुत सारे रेडियो जॉकी सड़कों पर फसे राही मुसाफ़िर और अपने-अपने दफ़्तर भागते लोगों से कॉल पर बातें भी करतें हैं। कितना अच्छा है न सड़क में फसा आदमी खुद को व्यस्त महसूस करने लगता है जब बड़ी मुश्किल से उसका फोन कॉल कनेक्ट हो पाता हैऔर एक ही वक़्त पर हजारों लोग उसके ट्रैफिक मजबूरी और ट्रैफिक हालात पर अपडेट को सुन रहें होते हैं।ये अपने आप में बहुत बड़ी अचीवमेंट है नहीं तो इस देश में तो किसान की "किसान बिल" पर सुनी तक नहीं जाती। देखो दिल्ली तुम्हारी ट्रैफिक वाली मजबूरी कैसे एक आम आदमी को ख़ास बना देती है। फिर जब ये गाना चलता होगा तो कितना मजेदार होता होगा न "यूँही चला चल राही कितनी हसीन है ये दुनिया".. . . . . .
तुम्हारी इस चिड़चिड़ा देनेवाली ख़ूबी ने लोगों में बहुत कुछ बदला है दिल्ली। घण्टो सड़क पर यूंही बिताने से अच्छा लोगों ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को फ़ोन करने की जबरदस्ती वाली आदत डाल दी है। वैसे भी ऑफिस के व्यस्त समय सारणी में कम ही वक़्त मिल पाता है। और आजकल तो वैसे भी बिना मतलब वाले रिश्तेदार कहाँ हैं जिनको फ़ोन किया ही जाए, वैसे दोस्त भी कहाँ जो सोशल मीडिया से ज्यादा मज़ा बाँध देतें हों। तुम ये सब जब करवाती हो तो पता है पूँजीपति कितना खुश होतें हैं, तुम्हारी रेंगने वाली खूबी उनकी तिज़ोरी भरती है। चलो तुमने इकोनोमी में अपनी ज़िम्मेदाराना भूमिका भी अदा कर दी। तुमने सोशल मीडिया के महत्त्व को और बढ़ाया है लोगों के क़रीब लाया है। इस बात की बधाई भी तुम्हे ही जाती है।
मैं फालतू में ट्रैफिक जाम में जलते पेट्रोल और डीजल का तोहमत तुम्हारे मथ्थे मढ़ दिया था।आज मैं वापिस लेता हूँ आखिकार तुम जो मोबाइल डेटा से पैसे खरचवाती हो उससे भी तो अर्थव्यस्था में गति आती होगी। एक बेरोजगार जब इंटरव्यू के लिए जाता होगा तो उसे भी तो बहुत कुछ सीखा देती होगी कि वक़्त का पाबंद बनों। और ये तो सफलता की पहली सीढ़ी है। वाह दिल्ली तुम्हारी बदहाल ट्रैफिक व्यस्था क्या क्या नहीं सीखा जाती?
पता है जब कोई बाहरी यहाँ आता है तो उसे क्या लगता है कि दिल्ली वाले बड़े सहनशील हैं नहीं तो भला इतनी ट्रैफिक वाले शहर में क्या रहना ? उनको नहीं पता कि दिल्ली सबके सहनशक्ति को परखती रहती है। ये भी ज़िन्दगी का बड़ा महत्वपूर्ण कला है जिसका होना ज़रूरी है।
तुमने ही तो ऑटोमैटिक गाड़ियाँ खरीदने पर मजबूर किया नहीं तो लोग कहाँ उसी गाड़ी के लिए 1 -2 लाख ज्यादा खरचते। जो बिना ऑटोमैटिक वाले हैं उनकी तो हालत ही मत पूछो बेचारे जल्दी ही फिजियोथेरेपी वाले का रूख करेंगे नहीं तो मजाल है कि गाड़ी चला ले वो बिना दर्द सहे। आख़िर फिजियोथेरेपी वाले दिल्ली के नहीं हैं क्या ? अगर हाँ तो उनको भी तो रोजगार मिलना चाहिए और इसकी ज़िम्मेदारी दिल्ली की है, जिसको बाक़ायदा निभाया भी जा रहा है। अच्छा फ्रस्ट्रेशन में ड्राइवर बेचारा खाली जगह मिलते गाड़ी को ऐसे भगाता है मानों माइकल सुमाकर परिवार का हो।बस यही तो वो मौका है जिससे ट्रैफिक नियम तोडना कहा जाता है कैमरा खचाक से फोटो लेता है और आपके घर गाँधी की मांग करता पहुँच जाता है। इसमें एक और मजेदार चीज है आप इतना ट्रैफिक लाइट देख लेते हैं कि एक-दो को कूदकर भाग जाना चाहते हैं। लेकिन ट्रैफिक पुलिस दिल्ली की जिम्मेदारी नहीं हैं क्या ? इसलिए उनको भी मौका मिलता है चालक की सेवा में चालान काटने का। और आप जी भर के कोशिश कर लो आप पता ही नहीं कर पाएंगे कि ट्रैफिक पुलिस खड़ा कहाँ रहती है। मैं तो उनकी इस कला का बड़ा फैन हूँ। गुरिल्ला लड़ाई वालों को तो इनसे सीखना चाहिए।
हर रोज दिल्लीवाला इसी उलझन से गुजरता हुआ बड़ा हुआ जाता है।
लेखक के बारे में
मोहम्मद असलम, पत्रकारिता से स्नातक हैं। सामाजिक घटनाक्रम और राजनीतिक विषयों में रूचि रखतें हैं। इनके ज्यादातर लेख सोशल मीडिया घटनाक्रम पर आधारित होतें हैं। इसके साथ ही एमबीए डिग्री धारक हैं और एक निजी बैंक में सीनियर मैनेजर के पोस्ट पर कार्यरत हैं।
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3 Comments
admin
Your Comment is Under Review...!!!
admin
Your Comment is Under Review...!!!
Assu
Har cheez k 2 pehlu he aaj dusre pehlu ko pura kar ek likhne ki kla ko alankrit kiya he