Updates

जब बात शान की करता हूँ, तो रोज शर्म से मरता हूँ

किसान देश की शान है,  फिर क्यों वो परीशान है वह 

 

अनाज वही उगाता है, फिर भी भूखे सो जाता है 

देश इसी की खाता है, फिर इसी के घर ही फाका है  

 

पूरा देश है चैन से सोता, बस इसका परिवार ही रोता 

हर भूख का मर्ज है यह, डूबा फिर भी कर्ज में है यह 

 

किसान का कोई धर्म नहीं, इससे बड़ा कोई कर्म नहीं 

किसान का कोई रूप नहीं, लेकिन यह कुरूप भी नहीं 

 

तुम कहते हो महामन्दी, तो सुनलो मेरी तुकबंदी 

नियत तुम्हारी ठीक नहीं, और राजनीति है गन्दी 

 

राजभवन में रहने वाले का, रामराज्य कहने वाले का 

आपस में मेल है क्या, पुंजिपतियो का खेल है क्या 

 

शिक्षित नहीं महान है यह, अनुभव का ज्ञान है यह 

सरकारी फ़रमान जो है , बहुत बड़ा बेईमान वो है 

 

आशावान, बलवान है यह, मिट्टी का भगवान है यह 

राष्ट्र की पहचान है यह, गीता और क़ुरआन है यह 

 

हर मौसम से लड़ जाता, अपनी जिद्द पर अड़ जाता 

देश चाँद पर चढ़ जाता, यह फाँसी पर चढ़ जाता 

 

जय जवान - जय किसान,  देश का गौरव गान है 

किसान क्यों परेशान है, जब देश ही कृषि प्रधान है

 

You Might Also Like

2 Comments

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Featured

Advertisement