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आज जब घर के बारजा में सुबह-सुबह अंग्रेजी का समाचार पत्र खटक करके गिरा तो उसके भीतर एक कोने में छपे विज्ञापन से अन्दर के हिन्दी ने अंगड़ाई लेते आँखें खोली। बगल के बालकॉनी से शर्मा जी अख़बार के पीछे से नाक तक चेहरा बाहर करते हुए जब "गुड मॉर्निंग" बोला तो हिन्दी बेचारा फिर दुबकने लगा।  फिर मैंने हिन्दी को भरोसा दिलाया और तेज़ आवाज़ में शर्मा जी को "हिंदी दिवस" की बधाई दे डाली। तब जाकर बेचारा हिन्दी कमर सीधी करते हुए आत्मविशास से खड़ा हो पाया।      

पीछे मुड़ा ही था कि आवाज़ आई कि प्लांट्स में पानी दे दो। अन्दर का हिन्दी काफी जागरूक है इसलिए हर बात पर नहीं उलझता।  ऐसे भी हिन्दी को पता है कि ये पखवाड़ा उसका है और आज तो बिल्कुल उसका ही दिवस है।  हिन्दी दिवस पर अँग्रेजी में विज्ञापन दिए जाएंगे और अंग्रेजी में "हैप्पी हिन्दी डे" से ग्रीट किया जाएगा। ये सब हिन्दी के व्यक्तित्व में चार चाँद लगाने का कार्य करता है।  हिन्दी बेचारी हमेशा मैले कुचैले और ग़रीब उत्तर भारतियों के बीच ही फलती फूलती रहेगी क्या? आज मौका है इसलिए हिन्दी, अंग्रेजी फैशन में सब जग़ह चहकेगी।    

पीछे से फिर आवाज़ आई वॉशरूम का दरवाज़ा क्यों खुला छोड़ दिया? वैसे भी पख़ाना या हाँथ-मुँह धोने का कमरा बोलो तो बड़ा अजीब लगता है न ? नाश्ता परोसते हुए बोला गया है कि आज पराँठे नहीं बने हैं इसलिए कॉर्नफ़्लेक्स और दूध से काम चलाना होगा।  ऐसे भी "मक्कई के भुने हुए फुले" आप नाश्ते में खा लेंगे क्या ? हिन्दी स्ट्रॉन्ग पोजीशन में है क्योंकि आज हिन्दी दिवस है।  बिल्कुल बेख़ौफ़ आज सबसे टकरा जाएगा। बिना घबराए।  जूते पहनकर जल्दी जल्दी में जाते वक़्त फिर टोका गया लंच बॉक्स तो ले लो और मास्क कहाँ है ? ऐसे भी मुखौटा लगाकर आप बाहर थोड़े न घूमने जाते हो ?

फिर आप जैसे ही ट्विटर और बाकी के सोशल मीडिया से रूबरू होते हैं तो पता चलता है की हिन्दी दिवस मनाने वालों की संख्या काफ़ी है।  आप भी उसमें शामिल हो जाते हैं।  किसी अच्छे से हिन्दी सन्देश को आगे भेज देते हैं या फिर #hindidiwas लिखकर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं।  हिन्दी फिर भी काफी खुश है क्योंकि आज नेताजी बताने वाले हैं कि हिन्दी हमारी मातृ भाषा है और फिर लोगों की तालियों से पूरा माहौल गूँज उठेगा। वैसा नज़ारा कि क़ब्र में पड़ी हिन्दी भी झूमकर खड़ा हो जाए।  फिर लोग वहां से एक दूसरे को "बाय एंड टेक केअर" कहते हुए बिदा हो जाएंगे। उधर दक्षिण वाले काफी शांत हैं हिन्दी में भेजे गए सन्देश पढ़ा ही नहीं जा रहा ऐसे में आप किसी को ग़लत भी कैसे ठहरा सकतें हैं।    

ऑफिस पहुँचो तो पता चला आज सीनियर मैनेजमेंट के साथ वीडियो कॉन्फ्रसिंग है।  लो जी हिन्दी दिवस पर इंग्लिश में भाषण चलने वाला है।  अगर फ़्लूएंट अंग्रेजी नहीं बोली तो समझो अंदर खाते में लोग समझ जायेंगे की ये सरकारी स्कूल का छात्र रहा है। अच्छा अँग्रेजी से बीच बीच में हिन्दी पर आ जाओ तब भी घूर कर देखेंगे मतलब फिर से संदेह कि अंग्रेजी कमजोर है।  बेचारा अंदर का हिन्दी पानी पानी होने को है।  क्योंकि हिन्दी दिवस है इसलिए पठ्ठा टिका हुआ है और  आज तो हिन्दी में ही बोलेगा।  नमस्कार साथियों के साथ जैसे शुरू किया तो लोग थोड़े देर के लिए भौचक रह गए। उसमें से किसी सज्जन को हिन्दी के वज़न का एहसास हो गया तो उन्होंने पुरे विश्वास भरे आवाज़ में अभिवादन स्वीकार करते हुए नमस्कार बोल दिया।  ऐसा होता देख बाकी लोग भी शामिल हो गए और फाइनली हिन्दी अपने आपको ज़ोरदार महसूस करने लगी। फिर कॉन्फ्रेंसिंग का खात्मा "सी यू गायज सून" करके हुआ। आख़िर हिन्दी ने अपनी मनवा ही ली। 

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