
- मोहम्मद असलम
- 02 Oct 2020
- 3M
- 4
गाँधी जयन्ती :- रहने दो बापू तुम तस्वीरों में अच्छे हो
बापू गुड मॉर्निंग ! कल शाम को ही पता चल गया था कि आज गाँधी जयन्ती है, जब लोग जल्दबाज़ी में ठेके की ओर भाग रहे थे की कल "ड्राई डे" है। इसलिए आपको अच्छेवाला हैप्पी बर्थडे !
बापू नेताजी आनेवाले हैं कुछ अच्छे कपड़े तो पहन लो। खुद आधी शरीर ढकते हो नेताजी जी को तो देखो लाखों का सूट, हजारों का रिस्ट वॉच और हजारों का चश्मा भी। नेताजी इतना सज धज कर इसलिए आएं हैं ताकि अर्धनग्न बापू जो अपना वाशरूम पॉट खुद ही साफ़ करते थें को श्रद्धांजलि दे सकें। बापू आप लजाते भी नहीं हो और घबराते भी नहीं हो, सोचो जरा आपके इस सस्ती धोती और फटे पुराने हाल का अगर किसी नौजवान ने आज के महंगे और शानदार ज़िन्दगी जीनेवाले नेता जी महाराज से आकलन कर लिया तो ? हार जाओगे बापू, देख लो, मैं तो बस चेता सकता हूँ!
बापू आपने ध्यान दिया नेताजी कितने आज्ञापालक हैं। नेता जी ने खादी कपडे पहन रखे थे फिर भी लोग यही कहेंगे अरे नेता झूठा, मक्कार, लालची, कुर्सी का भूखा। कोई ये नहीं देखता की नेता जी गाँधी को कितना मानने वाले हैं नहीं तो कुछ बढ़िया और विदेशी ब्रांड पहनकर नहीं आते। इसी को देख एक ग़रीब खादी भण्डार पहुँच गया ताकि वो भी गाँधी की कोई बात रख सके। अब बेचारा काउंटर से वापिस होने का मन बना रहा है उसे पता ही नहीं था की खादी नेता ही पहन सकतें हैं वो नहीं। नेता के पास गाँधी की कमी नहीं और ग़रीब के पास तो उतने गाँधी भी नहीं जो मनपसंद खादी दिलवा दे।
पता है बापू खादी को हमने क्यों महंगा कर दिया और आम लोगों की पहुँच से दूर ? क्योंकि आपके चरखे का अलग मान-सम्मान है। सबके पहुँच पर रही तो इसको लोग हल्के में लेने लगेंगे। और गाँधी-गाँधी ज़्यादा अच्छा भी तो नहीं है अँधेरे में खड़ाऊँ पहन कर चलो तो ऐसा लगता है मानो सामने से कोई मॉडल रैंप पर कैट वॉक करती आ रही है। फिर ये कुछ और ही ख़्याल पैदा करती है। इसलिए नो गाँधी-गाँधी।
बापू ठेके बंद करवाके क्या मिलता है आपको ? बेचारे कितने परेशान हो जाते हैं पता भी है आपको? लम्बी लाइन में घंटो खड़े रहो वो भी कोरोना को दिमाग में लिए हुए। बापू आप नहीं समझोगे। इसी भीड़ के चक्कर में हमारे कुछ पैसे भी ख़राब हो जाते हैं काउंटर पर बैठा लालची आदमी खुल्ले भी वापिस नहीं करता। बापू "ड्राई डे" आपने अपनी इज़्ज़त में रखवायी है न। ताकि कोई बेवड़ा पीकर गाँधी को उल्टा सीधा न बोल दे।
लेकिन यहाँ आप गलत हो बापू। जनता पर तो आपकी खूब चलती है कभी नेताओं पर चलाओ तो समझूँ। पता है कल गाँधी सड़क पर गिर गया। पोलिसवाले ने धक्का दिया और गाँधी ज़मीन पर धड़ाम। फिर क्या था मीडिया वाले अपनी-अपनी गर्म कढ़ाई निकाले और फिर उसमें उसको अच्छे से तला और बाँट दिया। एक नेवाला विपक्ष की ओर से ये दूसरा नेवाला सरकार की ओर से। बेचारा दर्शक कभी लेफ्ट देखता कभी राइट देखता फिर तभी उठा जब उसका पेट भर गया। मीडिया वालों की दूकान मस्त चल रही है बापू भरपेट स्पाइसी, झन्नाटेदार खिलाकर अपनी दूकान बढ़ा लेते हैं। दर्शक तबतक ये महसूस कर ही नहीं पाता कि उसका पेट जो डेली ख़राब होने लगा है उसकी वज़ह ये बेकार खाना भी हो सकता है।
लेकिन बापू पता है आज मीडिया वाले आपको बड़ी तरज़ीह देनेवाले हैं। आपको हैंडसम बनाकर प्रस्तुत करेंगे।बढ़िया सा धोती, रंगीन तस्वीर, शानदार चश्मा बिल्कुल मुस्कुराते हुए। ऐसे में तो सच में आप बड़े अच्छे लगते हो। कुछेक तो खादी पहनकर ही आएंगे। उनके मुँह से आपके आदर्श ऐसे टपकेंगे की आप पिघल कर उसकी तारीफ़ में क़सीदे पढ़ने लगेंगे। देखा बापू आपके आदर्शों में कितना ज़ोर है। लेकिन पता है ये ये नहीं बताएँगे कि हाथरस में क्या हुआ ? सुनते हैं किसी किशोरावस्था वाली लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ और फिर बुरी तरीके से उसको मारा पीटा गया। अब वो इस दुनिया में भी नहीं रही। पता है बापू मैंने ये बात पहले क्यों बता दी? क्योंकि जब आप मेन स्क्रीन पर छा रहे होंगे तब नीचे ये वाली खबर स्क्रॉल कर रही होगी। आप ये सब देखकर झेंप न जाओ इसलिए मैंने एडवांस में बता दिया है।
एक और बात बापू ! आपका बर्थडे तो हम सैलरीड क्लास भूल भी नहीं सकतें। महीने के आख़िरी में देर रात जब मोबाइल पर ये मेसेज आता है जिसमे लिखा रहता है की पहले आपका बैलेंस लगभग निल के आस-पास था और अब बढ़कर इतना हो गया है। तब भी दिल गाँधी के सम्मान में झूम उठता है। उसके एक दिन बाद आपका जन्मदिन।फिर भूलने का तो सवाल ही नहीं है। अच्छा एक की शाम को लिकर शॉप भी तो जाना रहता है, नहीं तो दो को फिर "ड्राई डे" झेलना पड़ेगा। लेकिन एक बात बताऊँ छुट्टी करवाके बड़ा अच्छा किया आपने।इसलिए सारे गिला सिकवा माफ़।
बापू आपने अपने बर्थडे याद रखने के कई बहाने और वजह बना दिए लेकिन आज आपके कोई "कथन" अच्छे से याद नहीं आ रहा जो वास्तविक ज़िन्दगी में होता दिखे। विदेशी खाना और विदेशी कपड़े के बगैर तो हमारा मन ही नहीं लगता। वैसे भी देसी में उतनी इज़्ज़त मिलती कहाँ है।आई फ़ोन पर आपकी कुछ तस्वीर दिखी आपके संदेशों के साथ। अच्छा है!
आज आपका दिन है बापू फिर क्या-क्या बोलूं नाराज़ न हो जाओ। बता दूँ की मैला ढोने की प्रथा अलग रूप में आज भी ज़िंदा है। गटर में अनगिनत लोग उसकी सफाई के दौरान मर चुकें हैं। बापू एक बात बताओं अपनी कौन सी जीवनी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में छोड़ आये। उसी ने तो बताया की गाँधी ठरकी था उसके अंग्रेजों से नाजायज़ सम्बन्ध थे इसलिए गोडसे ही अच्छा है। पता है बापू मेरे मोबाइल में लगभग एक हजार कॉन्टैक्ट नंबर हैं लेकिन सुबह से एकाध को छोड़कर किसी ने आपका बर्थडे सन्देश नहीं भेजा। हाँ ये ज़रूर आया है कि ठेके बंद होने की स्तिथि में क्या जुगाड़ है ?
क्या-क्या बताऊँ बापू? ये कि आप जिस राम राज्य की तस्वीर उभार गए थे उसमें 2 साल की मासूम को एक अधेड़ उम्र के नजदीकी रिश्तेदार ने रेप किया ? क्या बताऊँ की बच्चा चोर बोलकर भीड़ लोगों को डंडे और पथ्थरों से मार देती है? क्या बताऊँ आपके राम राज्य में पुलिस इतना बेहया है कि विरोध करती महिला के वस्त्र फाड़ देती है? क्या बताऊँ की निर्भया कानून बनाना पड़ा फिर भी रेप के केसेस बढ़ रहें हैं? क्या यही की जिस राज्य के मुख्यमंत्री खुद को साधुरूपी गेरुआ कपड़ों में पेश करतें हैं उस राज्य में बलात्कार के सबसे ज्यादा केस हैं और महिला उत्पीड़न चरम पर हैं? रहने दो बापू तुम तस्वीरों में अच्छे हो। तुम किताबों में अच्छे हो। तुम विचारों में अच्छे हो। तुम अंग्रेजों में अच्छे हो। तुम दिवार पर टंगी फ्रेम में अच्छे हो। तुम दिमाग के किसी कोने में बसे अच्छाई में अच्छे हो।
लेखक के बारे में
मोहम्मद असलम, पत्रकारिता से स्नातक हैं। सामाजिक घटनाक्रम और राजनीतिक विषयों में रूचि रखतें हैं। इनके ज्यादातर लेख सोशल मीडिया घटनाक्रम पर आधारित होतें हैं। इसके साथ ही एमबीए डिग्री धारक हैं और एक निजी बैंक में सीनियर मैनेजर के पोस्ट पर कार्यरत हैं।
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4 Comments
admin
Your Comment is Under Review...!!!
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Pehchan
Dusro ki alochna me jeevan bitana ek ye b roup he samaj ka insan he koi b bhagwan nahi galtiyo se seekho haso nahi Aap smajh ka darpad ho hamesha aise hi raho
@likhdesach
First and last line is very beautiful & meaning full but mid is unbalance. Overall its true & nice